मीन राशि करुणा और दया की प्रतीक है । यह मध्यम देह, स्त्री राशि, पिंगल वर्ण, ब्राह्मण जाति, जल तत्त्व, द्विस्वभावा, सौम्य प्रकृति, दिवा बली, सतोगुणी, कफ प्रकृति, सम संज्ञक, बहु प्रसव - उभयोदयी, उत्तर दिशा की स्वामिनी है। शुक्र इस राशि के 27 अंश पर उच्च का रहता है ।
मीन राशि का स्वामी गुरु है । मीन राशि में उत्पन्न जातक बुद्धिमान, गम्भीर एवं सौम्य प्रकृति, परोपकारी कार्य करने में तत्पर, सत्यप्रिय, धार्मिक, धर्म-कर्म एवं फिलास्फी, साहित्य एवं गूढ़ विद्याओं की ओर विशेष अभिरुचि रखेगा। उच्चाभिलाषी, उच्चाकांक्षी एवं स्वाभिमानी प्रकृति, अपनी मान-मर्यादा एवं प्रतिष्ठा का विशेष ध्यान रखेगा। सेवा भाव रखने वाला, तीव्र बुद्धि, परिश्रमी, उद्यमी, दूरदर्शी, व्यवहार-कुशल एवं नीति के अनुसार आचरण करने वाला, विश्वसनीय, ईमानदार तथा हर प्रकार से मित्रों एवं सगे-सम्बन्धियों के लिए सहायक होगा। परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को ढाल लेने की अपूर्व क्षमता होगी। दूसरों पर न तो अन्याय करेंगे और ना ही किसी भान्ति अन्याय को सहन करेंगे। मीन राशि वाले जातक कलाकार, चल चित्र व्यवसाय, खाने-पीने की वस्तुओं से सम्बन्धित, समाज सुधारक, अध्ययन सम्बन्धी कार्यों में सफल होते हैं ।
मीन जातकों में घर में शान्ति और आराम से बैठे रहने की प्रवृत्ति होती है। इससे उनमें आलसीपन आ सकता है। जल के प्रति उनका विशेष मोह होता है । इस राशि के जातक फेफड़े, बुखार, पेट में गैस आदि बिमारियों से ग्रस्त रहते हैं। स्त्री वर्ग - मीन जातिका का ब्राह्य रूप पूर्णतः एक नारी का रूप होता है । उसकी यही विशेषता पुरुषों को अपनी ओर आकर्षिक करती है। अन्दर से वह कठोर जीवन अपनाने में भी सक्षम हो सकती है । दीन-दुखियों के प्रति विशेष उदारता रखती है। कला के प्रति उनका प्रेम उनके घर को संग्रहालय बना देता है। मीन राशि वालों के बृहस्पतिवार का व्रत तथा केसर का तिलक लगाना शुभप्रद रहेगा।
शुभ नग–इस राशि वालों को पुखराज रत्न 5, 7 या 9 रत्ति के वजन का
सोने की अंगूठी में जड़वाकर तर्जनी अंगुली में धारण करें। इस अंगूठी को
सुवर्ण या ताम्र बर्तन में कच्चा दूध, गंगाजल, पीले पुष्पों में एवं “ ॐ ऐं क्लीं
बृहस्पतये नमः "
शुभ वार - बृहस्पतिवार, मंगल, रवि, सोम एवं शनिवार शुभ दिन रहेंगे ।
शुभ रंग - बैंगनी व हल्का जामुनी रंग, पीला, संगतरी लाल ।