मेष राशि में उत्पन्न जातक/जातिका मध्यम कद वाला, उत्साहयुक्त एवं साहसी प्रकृति का होगा। इस राशि का स्वामी मंगल होने जातक के मुख का रंग लाल (ताम्रवर्ण) अथवा गेहूआं वर्ण होगा। यदि भरणी नक्षत्र होगा तो रंग गोरा एवं लालिमा युक्त होगा। बदन गठीला एवं बाल घुंघराले होंगे । इस राशि की महिलाओं के बाल प्राय: लम्बे और घने होते हैं ।
मेष राशि के जातक परोपकारी, उग्र स्वभावी, तेजस्वी, सुशील, सभी के चित्त को प्रसन्न करने वाला, साहसी, उद्यमी एवं परिश्रमी होगा | सतर्क बुद्धि और स्वतन्त्र विचार रखेगा। स्मरणशक्ति तेज होगी । अग्नि तत्त्व प्रधान होने के कारण जातक/ जातिका भावुक प्रकृति वाला, परिवर्तनशील तथा अस्थिर स्वभाव वाला होगा। क्षणिक क्रोधित हो जाने पर शीघ्र ही मान जावे । भ्रमणप्रिय प्रकृति अर्थात् घूमने-फिरने का विशेष शौक रखे। जीवन में अपने परिश्रम एवं उद्यम के बल पर आय एवं धन प्राप्ति के साधन जुटा लेते हैं। बहन-भाई होने पर भी उनका सहयोग नहीं मिल पाता। मंगल शुभ हो तो जातक बड़े से बड़े शत्रु से टकराने से नहीं डरता तथा अपने निश्चय पर अडिग रहता है। नई-नई योजनाएं बनाने में कुशल होगा | मेष राशि के जातकों के स्वभाव में प्राय: जल्दबाजी रहती है। इनके मस्तिष्क में नई-नई मौलिक योजनाएं चलती रहती हैं। अत्यन्त महत्त्वाकांक्षी होने के साथ-साथ वे खुले दिल के और स्पष्टवादी भी होते हैं ।
दृढ़ इच्छाशक्ति और संकल्पशक्ति होने के कारण मेष राशि के जातकों में बड़े-बड़े व्यवसायिक या सार्वजनिक संगठनों के संचालन की विशेष योग्यता पाई जाती है। मेष राशि के जातकों में यह प्रबल इच्छा रहती है कि घर, व्यापार में, कार्यक्षेत्र में, सभी जगह उन्हें मुखिया समझा जाए ।
उपाय- मेष राशि वालों को क्रोध से बचना चाहिए। आपका परिश्रम ही आपको जीवन में उन्नति एवं प्रगति के मार्ग पर ले जाएगा। मंगलवार का व्रत रखना तथा श्रीमद्भगवद् गीता का पाठ करना शुभ होगा।
शुभ नग-सवा आठ रत्ती का मूंगा सोने या तांबे की अंगूठी में जुड़वाकर बीज मन्त्र द्वारा अभिमंत्रित करके अनामिका अंगुली में धारण करना शुभ होता है।
मंगल का बीज मन्त्र - ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः ।
शुभ वार- मंगलवार, गुरुवार एवं रविवार |
शुभ अंक - 9, 1, 2, 3 शुभ हैं।
शुभ रंग - लाल, पीला, संतरी, हल्का नीला ।